स्मृति दिवस पर विशेष | राजेश खन्ना अलविदा होकर भी ज़िंदा हैं- गोविन्द अग्रवाल

Fri 18-Jul-2025,08:36 PM IST +05:30

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स्मृति दिवस पर विशेष | राजेश खन्ना अलविदा होकर भी ज़िंदा हैं- गोविन्द अग्रवाल राजेश खन्ना की विरासत: हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार को श्रद्धांजलि
  • हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना की भावनात्मक अदाकारी ने सबको मंत्रमुग्ध किया।

  • उनके गाने और संवाद आज भी फैंस के दिलों में जीवित हैं।

  • स्मृति दिवस पर फैंस क्लब्स उन्हें याद कर सामाजिक सेवा करते हैं।

Madhya Pradesh / Jabalpur :

रोमांस के बादशाह

'किंग ऑफ रोमांस' कहे जानेवाले हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना करोड़ों जवां दिलों की सुरमई धड़कन बने रहे। ख़ासतौर से लड़कियों की दीवानगी का जुनून ऐसा था कि उनकी कार को होठों से चूमने में भी परहेज़ न था। अंजू महेंद्रू, टीना मुनीम और अंत में डिंपल कापडिया से काका के रोमांस के क़िस्से जगज़ाहिर थे।

बॉलीवुड के देवता

काका के स्टारडम का इतना दबदबा था कि फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें बतौर देवता पूजा जाता था। क्योंकि उनकी फिल्मों की बेहिसाब मांग की बदौलत उनके घर के बाहर निर्माताओं की कतार लगी रहती थी।  काका ने ख़ुद एक इंटरव्यू में कहा था कि कामयाबी की बुलंदी पर उन्हें  'देवता समान' महसूस होने लगा था।  यहां बता दें,राजेश खन्ना को अपना आइडियल माननेवाले  स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट के बाद मशहूर अभिनेता  बने टॉम अल्टर ने 'आराधना' देखने के बाद ही अभिनेता बनने का फैसला ले लिया था। जिन्हें पद्मश्री से भी नवाज़ा गया था।

कैसी थी काका की अदाकारी

उनके अभिनय में एक ख़ास किस्म का खिंचाव था, जो उन्हें लोकप्रिय बनाता चला गया। दरअसल उनकी अभिनय क्षमता अत्यंत बारीक़ और प्रभावशाली थी। ऐक्टिंग स्टाइल और मूड के बीच आसानी से तालमेल बना लेते थे काका।

भावनात्मक दृश्यों को जीवंत करने में उनका कोई सानी नहीं था। 'आई हेट टियर्स' और 'बाबूमोशाय, हम सब रंगमंच की कठपुतलियां हैं। नीचेवाले के डोर ऊपरवाले के हाथों में होती है' सरीखे संवाद बेहद सराहे जाते रहे।

राजेश खन्ना पर फिल्माये गाने

राजेश खन्ना पर फिल्माये गाने आज भी कभी-न-कभी हमारी ज़बान पर आ ही जाते हैं। 55 साल पहले 'सच्चा झूठा' का विदाई गीत 'मेरी प्यारी बहनिया ...' सुनते हुए आज भी हर भाई का कलेजा फट पड़ता है। कहना न होगा कि 'हाथी मेरे साथी' का 'नफ़रत की दुनिया को छोड़ ...', 'आराधना' का 'मेरे सपनों की रानी ...', 'लाल पत्थर' का 'ये लाल रंग ...', 'दो रास्ते' का 'ये रेशमी ज़ुल्फ़ें ...', 'कटी पतंग' का 'ये जो मुहब्बत है...', 'अमर प्रेम' का 'कुछ तो लोग कहेंगे ...', 'आनंद' का 'कहीं दूर जब ...' और 'सफ़र' का 'ज़िंदगी का सफ़र कैसा है सफ़र ...' सरीखे तरानों की गूंज से राजेश खन्ना हमेशा याद आते रहेंगे।

राजेश खन्ना के फैंस क्लब

सोशल मीडिया और दूसरे प्लैटफॉर्मों  पर राजेश खन्ना के फैंस क्लब्स सक्रिय हैं। फेसबुक पर 'राजेश खन्ना फैंस क्लब (इंडिया)' में उनके प्रशंसक फिल्मों, गीतों और काका के जीवन के विभिन्न पहलुओं का ज़िक्र किया करते हैं। 'डेंज़िल जयसिंघे - राजेश खन्ना फैंस क्लब' नाम का यह ब्लॉग काका के जीवन और कॅरियर पर केंद्रित है।

राजेश खन्ना के फैंस क्लब उनके प्रशंसकों के लिए अपनी पसंदीदा हस्ती के बारे में जानकारी साझा करने का मंच है। जहां प्रशंसक एक-दूसरे के साथ जुड़ सकते हैं। काका की विरासत को ज़िंदा रखते हुए अगली पीढ़ियों को उनके काम की जानकारी मुहैया करवाने में फैंस क्लब अहम भूमिका निभा रहे हैं।

काका को कैसे याद कर रहे प्रशंसक

राजेश खन्ना के क़द्रदान उनकी जयंती मनाने काका के सदाबहार गानों पर नृत्य से श्रद्धांजलि के साथ ही उनके सम्मान में विविध कार्यक्रम आयोजित करते आ रहे हैं। कुछ प्रशंसक उनकी फिल्मों की स्क्रीनिंग भी करवाते हैं। वहीं उनके स्मृति दिवस पर ब्लड डोनेशन कैंप लगाने और ग़रीबों को खाना खिलाने के सामाजिक कार्य भी किये जाते हैं। कहना न होगा कि उनके फैंस को कभी उनसे कोई छीन ही नही सकता !

लेखक: गोविन्द अग्रवाल